हाशिये की आवाज़ कहाँ है ?

Posted: Saturday, December 27, 2008 by आराधना मुक्ति in लेबल: , ,
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आज हर कोई आसमान छूना चाहता है ,पर मुश्किल ये है कि पैर ज़मीं से कब उखड़ जाते हैं, उसे पता नहीं चलता. तेज़ चाल छोड़ के ज़रा चहलकदमी करें और सोचें, कहीं अपनी मिट्टी के रंग और खुशबू तो नहीं भूल गए हम ...कहीं उस ज़मीन को तो नहीं भूल गये जहाँ हम पले-बढ़े बड़े हुए...कहीं उस हाशिये को तो नहीं भूल गये हम, जिसके बल पर ये समाज विकास करता जा रहा है और पीछे छोड़ता जा रहा है उन्हें, जिनकी आवाज़ें वहाँ से केन्द्र तक पहुँचते-पहुँचते कहीं खो जाती हैं...महानगर की भीड़ में या बड़े-बड़े मॉल्स में बजते विदेशी संगीत की धुन में...या एयरकंडीशंड ऑफ़िसों के सन्नाटों में...आम आदमी की सुविधा की कीमत पर होने वाले धरना और बन्द के शोर में...हाशिये की आवाज़ कहाँ है ? सुनाई क्यों नहीं देती?

5 टिप्पणियाँ:

  1. सही कहा..यह आवाजें हाशिये पर ही रह जाती हैं.

  1. saurabh says:

    hashiye ki aawaje hashiye pe hi rah jati hain.......
    par kya hamesha aisa hi hoga .......shayad nahi....ab aisa nahi hoga ........kyonki unki awaj ab hamen banna hai....is soch ke liye badhai ke patra hain...ham apke sath hain..

  1. shama says:

    Bahut jagahon pe yah aawazen hashiye parhi rah jati hain!

  1. kshama says:

    Jan jagruti ki sakht zaroorat hai..

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें