हमारे मन में गाँवो की छवि दो रूपों में अधिक दिखाई देती है .हम या तो इसे एक रूमानियत से भरी जगह के रूप में देखते हैं या फिर गन्दगी से भरे ऐसे स्थान के रूप में जहाँ गँवार लोग रहते हैं.हिन्दी फिल्मों ने भी इन्हीं दो रूपों को अधिक दिखाया है .यह बात समझ के परे है कि हम भारतीय गावों को उनके स्वाभाविक रूप में समझने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं.जब तक देश का आम आदमी इस बात को नहीं समझेगा,तब तक हमारे गाँव अविकसित रहेंगे .
How to Make Seeded Oat Bread
2 years ago