क्या मतलब है आज़ादी का?

Posted: Friday, August 13, 2010 by प्रशांत भगत in
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क्या मतलब है आज़ादी का?

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बीबीसी ने कई लोगो से यह सवाल पूछा /

15 अगस्त को भारत की आज़ादी की 64वीं सालगिरह है. लेकिन क्या भारत के नागरिक वाकई अपने आपको आज़ाद महसूस करते हैं? स्वतंत्रता के असल मायने हैं क्या?

बीबीसी ने ये सवाल कई जानी-मानी हस्तियों के अलावा आम लोगों से भी पूछा.

सूचना के अधिकार के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि सही मायनों में आज़ादी के लिए भारत से अफ़सरशाही ख़त्म होनी चाहिए.

वो कहते हैं "सूचना के अधिकार से हमें सिर्फ़ सवाल पूछने का अधिकार मिला है। सरकारी फ़ैसलों से हमें आज़ादी नहीं मिली है. हमें ऐसा लोकतंत्र चाहिए जिसमें रोज़ाना जनता का दखल हो. ये पांच साल वाला जनतंत्र हमें नहीं चाहिए."

अरविन्द केजरीवाल साहब अपने संविधान पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है / उन्हें अपने जनप्रतिनिधियों से कोई शिकायत नहीं है, शर्तियां इन्होने भी अपना मत किसी न किसी को दिया ही होगा चुनाव के समय/ लेकिन जब आज़ादी का मतलब इनसे पूछा गया तो इन्होने कहा कि, हम सब को सरकार के काम में दिन प्रतिदिन का जब तक दखल न मिले तो आज़ादी अधूरी है, पांच साल वाला जनतंत्र इन्हें पसंद नहीं आ रहा है इन्हें प्रतिदिन वाला जनतंत्र चाहिए / जिसमे भारत के सभी नागरिक रोज सुबह संसद भवन में पहुचे और आज के दिन की चीजे तय करे और अगले दिन वाली फिर कल सुबह / वाह भाई अरविन्द केजरीवाल क्या सोच है आपकी ? और कितना कमजोर है हमारा संविधान / लानत है इस सरकार पर जो कि आपके ऊपर राजद्रोह, पोटा या मकोका नहीं लगा रही है / आप से बेहतर तो माओवादी समझ में आ रहे है कि उन्हें जनतंत्र नहीं अपितु साम्यवाद चाहिए, और आप को अराजकतावाद चाहिए / जहा संविधान भी न हो, रोज खोदेंगे कुआ और रोज पियेंगे पानी / पर आपको क्या कहे, भारतीय राजस्व सेवा कीनौकरी इसलिए छोड़ दी क्यूंकि आपको रमन मैग्सेसे पुरस्कार लेना था , भारतीय प्रशाशनिक सेवा में रहते हुएआपने परिवर्तन नामक संगठन की नीव रक्खी और परिवर्तन के लिए सन २००० से अब तक कार्य कर रहे है / फिर सन २००० से लेकरके २००६ के बीच में आपने भारतीय राजस्व सेवा से इस्तीफा क्यों नहीं दियाइंतज़ार कर रहे थे रमन मैग्सेसे पुरष्कार का /आप कौन सी परम्परा के अफसर थे ? मौकापरस्त ? सन २००४ में आप राजस्व विभाग की नौकरी करते हुए अशोका फेलोशिप कैसे लिए थे क्या आप हम देशवासियों को बताने का कष्ट करेंगे ? पढाई की अभियांत्रिकी की नौकरी की राजस्व विभाग की बाते करते हो अराजकतावाद की / देश को मेकैनेकल इंजिनियर की प्रयोगशाला बनाना चाहते हो ? समाज बदलने के बारे में ही सोचते थे तो क्यों नहीं पढ़ा समाजशास्त्र, क्यों गए राजस्व विभाग में अफसर बनने ? अपने अन्दर तो झाँक लिया होता एक बार फिर यह कहते की हमारा जनतंत्र ठीक नहीं है, इसे रोज़ तंत्र में बदल देना चाहिए / आप जैसे लोगो की वजह से इस देश की हालत यह है, आम आदमी के पैसे से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नालाजी में पढ़ते हो, और तकनीकी छोड़ करके राजस्व विभाग में जाते हो फिर उसे भी छोड़ते हो, एक पुरस्कार के चक्कर में आप से बड़ा धन लोभी , नाम लोभी कौन होगा / हम नफ़रत करते है आपसे और आप जैसी परम्परा वाले अन्य लोगो से भी /