नर्मदा बाँध :दूसरा पहलू

Posted: Wednesday, January 7, 2009 by आराधना मुक्ति in लेबल: , ,
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नर्मदा बाँध की बात चलने पर कई बातें मन में उठती हैं ? क्या बड़े बाँधों को बनाने की कीमत किसी न किसी को चुकाना ज़रूरी है? क्या हम विकास का कोई ऐसा रास्ता नहीं निकाल सकते, जिससे सभी को बराबर का लाभ मिले, जिससे कोई भी उजड़े नहीं और न ही उन्हें पुनर्वास की आवश्यकता पड़े. मेरे विचार से देश के नौजवानों, बुद्धिजीवियों और नीति -निर्माताओं को इस विषय पर सार्वजनिक मंचों पर वाद-विवाद और बहसें करनी चाहिए. सतत विकास की सिर्फ़ बात न हो, बल्कि उसे अमल में भी लाया जाए .

2 टिप्पणियाँ:

  1. mukti says:

    good but not enough.

  1. जैसे माँ प्रसव पीडा सहने के बाद ही बच्चे की किलकारी सुन पाती है,वैसे ही बाँध बनाने पर तराईवासियों को उजाड़ना पड़ता. विनाश ही नव निर्माण की पूर्वपीठिका है. महाकाल ही तो कल्याणकारी शिव है. मृत्यु न हो तो जीवन मौत से बदतर हो जायेगा. आपको एक अच्चे चित्ट्ठे के लिए बधाई. दिव्यनार्मादा.ब्लागस्पाट.कॉम देखें, फोल्लो करें, लिखें...